5 से 10 साल तक के बच्चों का टाइम टेबल कैसे बनाएं ?

5 से 10 साल तक के बच्चों का टाइम टेबल कैसे बनाएं ?

दोस्तों आज का हमारा यह पोस्ट जो हमारे इस ब्लॉग costudybuddy.com  में हमारे प्यारे अभिभावकों के लिए तथा उनके छोटे बच्चों के लिए है।आज अभिभावक अपने बच्चे के पढ़ाई – लिखाई को लेकर अत्यधिक परेशान रहते हैं

स्कूल का गृह कार्य जैसे 10 फूलो का नाम , जानवरों के नाम जैसे कई काम अपने छोटे बच्चे को करवाना होता है आज हम आपके समक्ष अपने पोस्ट में 5 से 10 साल तक के बच्चों के लिए टाइम टेबल बनाने का तरीका ….. बताएंगे। जिसकी मदद से हर माता-पिता अपने छोटे या 10 साल तक के बच्चों के लिए एक सहज या सरल टाइम टेबल बनाकर उनकी पूरी दिनचर्या के कार्यों को समय के हिसाब से मैनेज कर देंगे जिसके साथ साथ पढ़ाई का भी समय उसमें निहित होगा।

5 से 10 साल तक के बच्चों के लिए टाइम टेबल बनाने का तरीका……

दोस्तों यह बात तो सत्य है कि समय सभी को एक बराबर मिलता है और यह भी कहा जाता है कि समय के साथ-साथ हमें चलना चाहिए क्योंकि अगर जीवन में हमें सफलता हासिल करनी है तो समय के साथ या समय से एक कदम आगे ही चलना चाहिए और अपनी सोच को भी उसी प्रकार रखना चाहिए।

समय के मैनेजमेंट में टाइम टेबल का बहुत बड़ा योगदान है क्योंकि टाइम टेबल बनाने पर हम कार्य के अनुसार, अपने दिनचर्या के अनुसार time को मैनेज करते हैं ताकि समय पर या समय से पहले ही हम अपने कार्य को संपूर्ण कर लें। टाइम टेबल एक ऐसा जरिया है जिसके अनुसार हम अपने दिनचर्या में करने वाले कार्य को समय के हिसाब से बांट सकते हैं

और सभी कार्य को समय से करने में सफल भी हो सकते हैं। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है सही टाइम टेबल का निर्माण क्योंकि टाइम टेबल में ही हम अपने कार्यों के अनुसार अपने समय को मैनेज करते हैं ताकि टाइम पर वक्त रहते ही हम अपने कार्य को पूर्ण करें और हमें किसी भी शारीरिक (phydically) या मानसिक (mentally) परेशानी का सामना ना करना पड़े।

टाइम टेबल क्या होता है….? किस लिए होता है ?

दोस्तों बड़े लोगों के लिए या कहा जाए कि युवा पीढ़ी के लिए टाइम टेबल बनाना आसान होता है ,लेकिन अगर यही कार्य हम 5 से 10 साल तक के बच्चों के लिए करते हैं तो वह इतना आसान नहीं होता है क्योंकि युवा वर्ग के पास इतनी समझदारी होती है कि वह अपना कार्य टाइम टेबल के हिसाब से करें और दृढ़ निश्चय होकर अपना कार्य करें लेकिन बच्चे तो बच्चे होते हैं।

बच्चों को टाइम टेबल के हिसाब से समय पर कार्य करवाना बहुत ही मुश्किल होता है क्योंकि बच्चे का मन हमेशा चंचलता में रहता है, हमेशा उनका दिमाग खेलकूद में लगा रहता है इसलिए वह समय का बिना ध्यान दिए अपने खेल को जारी रखते हैं

ऐसे में अभिभावक का सबसे बड़ा कर्तव्य होता है कि वह अपने छोटे बच्चों के लिए एक सरल सा टाइम टेबल बनाएं ताकि उनके बच्चों को टाइम टेबल के हिसाब से कार्य करना कठिन ना लगे और उनको पता भी ना चले कि उन्हें समय के हिसाब से कार्य करने के लिए बाध्य किया जा रहा है,

क्योंकि बच्चे कभी भी समय में बाध्य होकर कोई काम करना नहीं चाहते हैं वह अपने अनुसार अपने मूड (mood) के अनुसार ही अपने सभी कार्य को कहते हैं। इसलिए  हर अभिभावक एक ऐसे टाइम टेबल का निर्माण करें या टाइम टेबल बनाएं जिसमें बच्चों की दिनचर्या में होने वाले सभी कार्य…. खेलकूद ,पढ़ाई – लिखाई ,घूमना – फिरना, सोना ,समय से खाना ,इत्यादि  समय पर ही संपन्न हों।

टाइम टेबल बनाने से पूर्व ध्यान देने योग्य बातें…..

टाइम टेबल बनाना तो बड़ा ही आसान काम होता है कोई भी इसे बना सकता है लेकिन दिनचर्या को ध्यान में रखते हुए और वह भी छोटे बच्चों की दिनचर्या को तब यह कोई आसान काम नहीं है क्योंकि बच्चों का टाइम टेबल बनाना बड़ा ही मुश्किल  का कार्य होता है। फिर भी आप निराश ना हो हम आपको बताएंगे कि टाइम टेबल बनाने से पूर्व आप किन – किन बातों का ध्यान रखें ताकि आपको अपने बनाए टाइम टेबल के हिसाब से बच्चों को कार्य करवाने में कोई भी परेशानी ना हो। नीचे दिए गए कुछ टिप्स हैं  जिनको ध्यान में रखते हुए आपको टाइम टेबल  बनाना चाहिए…..

???? बच्चों की दिनचर्या को समझें…..

कभी भी टाइम टेबल बनाने से पहले हमें दिनचर्या का खास ध्यान देना पड़ता है क्योंकि अपनी दिनचर्या के अनुसार ही हम अपने सभी कार्य को समय से करने के लिए एक अच्छे और सरल टाइम टेबल का निर्माण कर सकते हैं। इसलिए जब बात छोटे बच्चों की आए तो यह एक अभिभावक के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है कि वह टाइम टेबल बनाने से पहले बच्चों की दिनचर्या को समझें और साथ ही साथ उनके खेलकूद का भी ध्यान रखें जिससे टाइम टेबल बनाने में उन्हें कोई भी परेशानी ना हो।

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???? पढ़ाई से संबंधित सभी बातों का रखें ध्यान……

 हम अपने टाइम टेबल में अपने दिनचर्या के सभी कार्यों को समय के हिसाब से मैनेज करने के साथ-साथ पढ़ाई के लिए भी उचित समय का निर्धारण करते हैं। इसलिए हर अभिभावक को अपने बच्चों के साथ बैठकर उनके एकेडमिक ईयर की पढ़ाई के बारे में बात करनी चाहिए ,उनके सभी विषयों के किताबों में दर्शाए गए सिलेबस को देखना चाहिए ताकि  आप अपने बच्चों के लिए जो टाइम टेबल बनाएं उसके हिसाब से आपके बच्चे की पढ़ाई समय से पूरी हो सके और एग्जाम देने में कोई समस्या ना उत्पन्न हो।

???? सभी विषयों के साथ-साथ कमजोर विषय का भी रखें ध्यान…..

टाइम टेबल बनाने से पहले हर अभिभावक को अपने बच्चों के सभी विषयों का आकलन करना चाहिए इसमें आप की सबसे बड़ी मदद आपके बच्चे के पिछले साल का रिपोर्ट कार्ड करेगा क्योंकि उस रिपोर्ट कार्ड मैं दर्शाए गए सभी विषयों के मार्क्स से पता चल जाएगा कि आपका बच्चा किस विषय में ज्यादा कमजोर है अर्थात किस विषय पर ज्यादा फोकस करने की आवश्यकता है।

???? पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद का भी रखें ध्यान….

अक्सर लोग टाइम टेबल बनाते वक्त सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई पर ही फोकस करते हैं वह भूल जाते हैं कि बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद में भी बहुत रूचि होती है। इसलिए हर अभिभावक का यह कर्तव्य होता है कि वह टाइम टेबल बनाते समय पढ़ाई का टाइम सेट करने के साथ-साथ उसमें कुछ समय खेलकूद का भी डालें ताकि बच्चों को पढ़ने में और खेलने में रुचि उत्पन्न हो और उनका मानसिक व्यायाम के साथ-साथ शारीरिक व्यायाम भी होता रहे।

???? स्कूल से मिलने वाले होमवर्क के लिए भी समय निर्धारित करें….

बच्चों का टाइम टेबल बनाते वक्त होमवर्क को करने के लिए भी समय का निर्धारण करने की आवश्यकता होती हैं क्योंकि बच्चों के सिलेबस (syllabus) को पूर्ण करने के साथ-साथ स्कूल से या ट्यूशन से मिलने वाले होमवर्क को भी करना अति आवश्यक होता है।

???? Time table का बीच-बीच में आकलन करने की भी आवश्यकता……

टाइम टेबल बनाने के साथ-साथ हमें इस बात का भी ध्यान देने की आवश्यकता होती है कि हम टाइम टेबल का बीच-बीच में आकलन भी करते रहें ताकि हमें इस बात का पता चल सके कि हमारा कार्य हमारी दिनचर्या, हमारे टाइम टेबल के हिसाब से चल रही है या उसने कुछ गड़बड़ी या परेशानी आ रही है। तभी हम उस परेशानी का हल निकाल सकेंगे और अपने कार्य को टाइम टेबल के हिसाब से कर सकेंगे।

???? टाइम टेबल बनाते समय बीच-बीच में ब्रेक या अंतराल भी जरूरी……

टाइम टेबल बनाते समय अभिभावक को इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों के दिनचर्या के हिसाब से किए जाने वाले कार्य के बीच बीच में अंतराल भी शामिल हो क्योंकि कोई भी कार्य करने के लिए मानसिक और शारीरिक व्यय होता है इसलिए हमारे शरीर के साथ-साथ हमारे दिमाग को भी शांत और एकाग्र होने के लिए हमें ब्रेक की आवश्यकता होती है। इसलिए कार्य के बीच में जब आप बच्चे को ब्रेक दे उस समय इस बात का ध्यान रखें कि बच्चा कोई भी ऐसा काम ना करें जिससे उसको शारीरिक या मानसिक थकान हो। इस अंतराल के दौरान आप कोशिश करें कि आपका बच्चा थोड़ा आराम करें।

 आपकी यह कोशिश रहनी चाहिए कि आपका बच्चा टाइम टेबल के हिसाब से अपने सभी कार्यों को दिन में ही निपटा लें और रात को आराम से खा कर अपनी नींद पूरी करें ताकि अगले दिन उसे अपने टाइमटेबल के हिसाब से कार्य करने में कोई परेशानी ना हो।

???? छुट्टी के दिनों में बच्चों के पढ़ाई का खास ध्यान रखें…….

वैसे तो हम सभी को छुट्टी बहुत अच्छी लगती है। उसी तरह बच्चे भी छुट्टी के दिन कोई काम नहीं करना चाहते हैं और सिर्फ खेलकूद में ही अपना समय बिताना चाहते हैं। जिसकी वजह से टाइम टेबल के हिसाब से चलने में कठिनाई होती है। इसलिए हर अभिभावक को अपने बच्चों के लिए एक खास टाइम टेबल बनाना चाहिए जो छुट्टी के दिनों के लिए हो और उस टाइम टेबल में बच्चों की पढ़ाई का खास ध्यान रखा जाए क्योंकि पढ़ाई में जो कुछ भी छूट गया रहता है या फिर कोई ऐसा सिलेबस जो पूरा नहीं हो पाया है उसको हम छुट्टी के दिनों में समय से पूरा कर लेते हैं। wt

Conclusion…..

आज के अपने इस पोस्ट में हमने आपको टाइम टेबल (Time table) के बारे में पूरी जानकारी दी है की टाइम टेबल कैसे बनाएं…..? तथा टाइम टेबल बनाने से पूर्व किन किन बातों का ध्यान रखें….? 

अगर हर अभिभावक उपयुक्त दर्शाए गए सभी बातों का ध्यान देकर अपने 5 से 10 साल तक के बच्चों के लिए टाइम टेबल बनाए ताकि उनके बच्चे अपनी पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद व अपने और  भी रुचिपूर्ण कार्यों को करने में सफल हो सकें।

हम आशा करते हैं कि आज का हमारा यह पोस्ट आपको पसंद आया होगा आप इसे लाइक और शेयर जरूर करें।

धन्यवाद…..????

3 responses to “5 से 10 साल तक के बच्चों का टाइम टेबल कैसे बनाएं ?”

  1. priya tech says:

    thank you for sharing very nice infromation sir/mam

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