महिला सशक्तिकरण पर निबंध
महिला सशक्तिकरण में सशक्तिकरण से आशय है कि किसी व्यक्ति या महिला की उसके योग्यता के अनुसार वह अपने लिए अपने जीवन से जुड़े सारे फैसले खुद ले सके उसे ही सशक्तिकरण कहते हैं तथा जहां महिलाएं परिवार और समाज के सभी बाधाओं से मुक्त होकर अपने फैसलों को निर्मित करने की शक्ति खुद से ले सकने में सक्षम हो।
महिला सशक्तिकरण नीति कब लागू हुआ?
सरकार द्वारा 2001 में लागू की गई महिला सशक्तिकरण की राष्ट्रीय नीति का उद्देश्य महिलाओं की प्रगति, विकास और सशक्तिकरण सुनिश्चित करना और महिलाओं के साथ हर तरह का भेदभाव समाप्त कर यह सुनिश्चित करना है कि वे जीवन के हर क्षेत्र और गतिविधि में खुलकर भागीदारी करें।
महिला सशक्तिकरण का महत्व क्या है
हमारे भारत देश में काफी उच्च स्तर की लैंगिक असमानता है जहां महिलाएं अपने परिवार के साथ ही बाहरी समाज के भी बुरे,भद्दे बर्ताव से दुखद पीड़ित है तथा यही अन्य देशों में देखा गया है। नारी सशक्तिकरण का अर्थ तब समझ में आएगा जब उन्हें सही मार्ग में सही शिक्षा दी जाए तथा उन्हें इस काबिल बनाया जाए कि वह पुरुषों के साथ कदमताल करके उनके बराबरी में चल सके जो पुरुष काम करें वही महिला भी काम करें उसे भारत की कंपनियों में तथा विदेशों की कंपनियों में नौकरी करने हेतु सशक्त बनाए। हमारे भारत देश में आज भी ज्यादातर महिलाएं या तो कम पढ़ी लिखी या तो अशिक्षित है।
आज दुनिया में ऐसे कई देश हैं जहां महिलाओं का महत्व और अधिकार के बारे में समाज में जागरूकता लाने के लिए मातृ दिवस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस तथा ऐसे कई सारे कार्यक्रम उनकी सरकारों द्वारा चलाए जा रहे हैं तथा हमारे देश में ही ऐसे कई सारे योजनाएं महिलाओं के लिए बनाए गए हैं पर फिर भी आज महिलाएं कहीं ना कहीं असशक्त सी हैं। महिलाओं को कई क्षेत्र में विकास की जरूरत है तथा भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों मूल्यों को मारने वाली उन सभी बुरी सोच को मारने की जरूरत है जो उनको सशक्त बनाने में एक बांधे का काम कर रहे हैं,जैसे- दहेज प्रथा और समानता, यौन हिंसा, शिक्षा का अभाव, भ्रूण हत्या ,घरेलू हिंसा, वेश्यावृत्ति ,मानव तस्करी, बलात्कार ,बाल यौन शोषण तथा और ऐसे ही कई कारणों की वजह है जिससे महिलाएं असशक्त है
भारत मैं महिला सशक्तिकरण से जुड़े कुछ कमियां हैं जिनमें सुधार की आवश्यकता है –
इस आधुनिक युग में भारत की महिलाएं कई सारे महत्वपूर्ण पद तथा ऐसे कई सारे महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रशासनिक पदों पर कार्यरत हैं जिनमें उन्हें होना चाहिए परंतु ऐसे और भी कई सारी महिलाएं जो सामान्य ग्रामीण महिलाएं हैं वह आज भी अपने घरों में रहने के लिए मजबूर हैं तथा उन्हें सामान्य स्वास्थ रोजमर्रा की जिंदगी जीने के लिए भी कई सारे कष्ट झेलने पड़ते हैं ऐसी कई सारी सुविधाएं उन्हें नहीं मिलती हैं जो शहर की महिलाओं को प्राप्त होती हैं।
भारत सरकार तथा राज्य सरकार दोनों को यह देखना चाहिए कि जो सुविधा शहर की महिलाओं को मिली है वह ग्रामीण की महिलाओं को भी दिया जाए जिससे दोनों की असमानता को कम किया जा सके आज के समय में देखा गया है कि आज भी ग्रामीण महिलाएं शहर की महिलाओं से कम पढ़ी लिखी होती हैं तथा शहर की महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं की अपेक्षा अधिक रोजगारसील है तथा एक आंकड़ों के अनुसार भारत के शहरों में सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में लगभग 40% महिलाएं कार्य करती हैं वहीं ग्रामीण क्षेत्र में लगभग आज भी 95 फ़ीसदी महिलाएं मुख्यतः कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों में दैनिक मजदूरी करती हैं
भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता का एक और मुख्य कारण यह है कि शहर की महिलाओं की अपेक्षा ग्रामीण की महिलाओं को कम वेतन तथा भत्ता प्राप्त होना । एक अध्ययन में यह देखा गया कि एकसामान अनुभव और एक समान योग्यता के बावजूद भी भारत में महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा में 30% कम भुगतान दिया जाता है।
हमारा देश काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है तथा भारत की लगभग 50% आबादी केवल महिलाओं की है तथा इससे यह अर्थ निकलता है कि पूरे देश के विकास के लिए आधी आबादी को सशक्त होना होगा तभी हमारा देश आगे बढ़ सकता है आज के समय में अभी भी महिला सशक्त नहीं है और कई सामाजिक प्रतिबंधों से बंधी हुई है।ऐसी स्थिति में हम यह नहीं कह सकते कि भविष्य में बिना हमारी आधी आबादी को मजबूत किए हमारा देश अधिक विकसित हो पाएगा तथा अधिक सशक्त हो पाएगा।
महिला सशक्तिकरण की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि प्राचीन समय में भारत में लैंगिक असमानता थी और पुरुष प्रधान समाज का महिलाओं को उनके अपने परिवार के समाज द्वारा कई कारणों में दबाया गया उन्हें प्रताड़ित किया गया तथा उनके साथ ऐसे कई प्रकार की हिंसा हुई जो परिवार और समाज में भेदभाव भी किया गया ऐसा केवल भारत में ही नहीं बल्कि ऐसे कई दूसरे देशों में दिखाई दिया और ज्यादातर यह मामला अरब के देशों में देखा गया।
महिलाएं ज्यादा खुले दिमाग से यदि काम करें तो वह पुरुषों से अधिक सशक्त तथा अच्छे से हर क्षेत्र में अपना 100% दे सकती हैं तथा सभी आयामों में अपने अधिकारों को पाने के लिए सामाजिक बंधनों को तोड़ सकती हैं और आधुनिक समाज में महिलाओं के अधिकार को लेकर ज्यादा जागरूक होना पड़ेगा तथा जिसका परिणाम होगा कि कई सारे स्वयंसेवी समूह और एनजीओ आदि इस दिशा में और तत्परता से काम करें जिससे महिलाएं और सशक्त हो।
सरकार की तरफ से चलाई जाने वाली महिला सशक्तिकरण योजनाओं की भूमिका।
पिछले कई वर्षों से देखा गया कि यदि महिलाओं को अधिक से अधिक प्रोत्साहित किया जाए तो वो पुरुषों से अधिक कार्य कुशल होंगी इसीलिए सरकार द्वारा ऐसी कई योजनाओं के जरिए महिला सशक्तिकरण को और मजबूती प्रदान करने की कोशिश जारी है इसमें हमें ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलेंगे जैसे –बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, महिला हेल्पलाइन योजना, उज्ज्वला योजना ,महिला सशक्तिकरण केंद्र पंचायती राज योजना में महिलाओं के लिए आरक्षण, सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 30% सीटों का आरक्षित होना इत्यादि।
भारत तथा विश्व में महिला सशक्तिकरण में आने वाली कुछ चुनौतियां इस प्रकार है महिला सशक्तिकरण से क्या आशय है भारत में महिला सशक्तिकरण की क्या आवश्यकता है
भारत में धर्म,रीति ,परंपरा ,कुरीतियों का एक ऐसा रिवाज है जिसमें मान्यताएं , परंपराएं ऐसी कई सारी अवधारणा शामिल है जिनसे महिला सशक्तिकरण के लिए रुकावट सिद्ध हुई उन्हीं रुकावटो को हम आपको बताएंगे कि महिला सशक्तिकरण में क्या चुनौतियां हैं
- पुरानी और प्राचीन सोच तथा रूढ़िवादी विचारधाराओं के कारण भारत में ऐसे कई सारे क्षेत्रों में महिलाओं को घर छोड़ने पर पाबंदी होती है इसी कारणवश भारत में ऐसी कई सारी क्षेत्र हैं जहां की महिलाएं लड़कियां घर के बाहर दूसरे शहरों में जाकर पढ़ाई ना कर पाना तथा नौकरी ना कर पाना ही उनके सशक्त ना हो पाने का सबसे बड़ा कारण है
- कार्य क्षेत्र में होने वाले शोषण भी महिला सशक्तिकरण में बाधा है।निजी क्षेत्र जैसे– सेवा उद्योग,सॉफ्टवेयर उद्योग,शैक्षिक संस्थाएं इस समस्या से ज्यादा प्रभावित होते हैं। भारत में अभी भी महिलाओं के साथ कार्यस्थलों में लैंगिक स्तर पर काफी भेदभाव किया जाता है कई क्षेत्रों में तो महिला को शिक्षा रोजगार लेने के लिए बाहर भी नहीं जाने दिया जाता है। इसके साथ-साथ उन्हें आजादी पूर्वक कार्य करने या परिवार से जुड़े फैसले लेने की भी आज्ञा नहीं होती है उन्हें हमेशा हर कार्य में पुरुषों की अपेक्षा कम ही माना जाता है।भारत में महिलाओं को अपने पुरुष समकक्षओ के अपेक्षा भुगतान भी कम दिया जाता है इस तरह के कार्य महिलाओं पुरुषों के मध्य के असमानता को प्रदर्शित करते हैं।संगठित क्षेत्र में काम करने वाले महिलाओं को अपने पुरुष समकक्षओं की तरह सामान अनुभव योग्यता तथा टैलेंट होने के बावजूद भी पुरुषों से मुकाबले कम अपेक्षा की जाती है तथा उनको भुगतान भी पुरुषों की अपेक्षा कम दिया जाता है इसका सीधा असर महिला का सशक्तिकरण ना होने पर पड़ता है।
- हालांकि सरकारों तथा सामाजिक संस्थाओं द्वारा उनकी कोशिशों के बलबूते पिछले कुछ दशकों द्वारा यह देखा गया भारत में बाल विवाह जैसी कुरीति को काफी हद तक कम कर दिया गया लेकिन 2018 में यूनिसेफ के एक रिपोर्ट में पता चलता है कि भारत में अब भी हर वर्ष लगभग २० लाख लड़कियों की शादी 19 वर्ष से पहले ही कर दी जाती है जिसका खामियाजा यह होता है कि शादी हो जाने के कारण महिलाओं का विकास रुक जाता है और वह शारीरिक तथा मानसिक रूप से वयस्क नहीं हो पाती हैं।
- कन्या भ्रूण हत्या या फिर लिंग के आधार पर गर्भपात भारत में महिला सशक्तिकरण के रास्ते में आने वाली सबसे बड़ी बाधा में से एक है तथा इन बाधाओं को दूर करने के लिए सरकार द्वारा काफी अच्छे कदम उठाए गए जिसमें भ्रूण जांच प्रेगनेंसी से पहले एक अपराध कर दिया गया। तथा कन्या भ्रूण हत्या के कारण ही हरियाणा जम्मू कश्मीर जैसे प्रदेशों में स्त्री और पुरुष लिंग अनुपात में काफी ज्यादा अंतर आ गया और हमारे महिला सशक्तिकरण के दावे तब तक नहीं पूरे होंगे जब तक हम कन्या भ्रूण हत्या की समस्या को मिटाने मैं कामयाब नहीं हो पाएंगे।
महिला सशक्तिकरण के कारण महिलाओं की जिंदगी में हुए बदलाव कुछ इस प्रकार हैं
महिलाओं ने हर एक कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना शुरू किया तथा अपनी जिंदगी से जुड़े फैसले खुद लेना सीख रहे हैं और अपने हक के लिए लड़ने लगे हैं तथा धीरे-धीरे आत्मनिर्भर भी बन रहे हैं तथा पुरुष भी अब महिलाओं को समझने लगे हैं और पिता अपनी लड़कियों को अपने घर की महिलाओं को बाहर पढ़ने हेतु तथा रोजगार हेतु बाहर भेजने लगे हैं जिससे महिला सशक्तिकरण हो रही हैं पुरुष महिलाओं के फैसलों की इज्जत करने लगे हैं जिससे या कहा जा रहा है कि अब यह महिलाओं का सशक्तिकरण का उदय का समय आ गया है।
भारत में महिला से जुड़े कुछ अधिनियम इस प्रकार हैं
- कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन शोषण एक्ट 2013
- बाल विवाह रोकथाम एक्ट 2006
- लिंग परीक्षण तकनीकी एक्ट 1994
- मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेगनेंसी एक्ट 1987
- एक बराबर परिश्रमिक एक्ट 1976
- दहेज रोक अधिनियम 1961
- अनैतिक व्यापार अधिनियम 1956
आज भारत विकसित देशों की सूची में धीरे-धीरे अपना नाम ऊंचा करता हुआ दिख रहा है उसे ही देखते हुए निकट भविष्य में भारत को महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा तथा भारतीय समाज मे यह सुनिश्चित कर देना होगा कि महिला का सशक्त होना बहुत जरूरी है क्योंकि यदि किसी देश की महिलाएं सशक्त होती हैं तो उस देश का विकास भी बहुत तीव्र गति से होता है तथा हमें यह समझना बहुत आवश्यक है कि हम महिलाओं के विरुद्ध अपनी पुरानी सोच को बदले और संवैधानिक तथा कानूनी प्रावधान में भी बदलाव करके महिलाओं को सशक्त बनाए।
निष्कर्ष
आशा करते हैं कि आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अवश्य पसंद आई होगी यदि आप में किसी भी प्रकार का सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में अवश्य बताएं ।
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