बच्चे को टॉपर कैसे बनाएं ?

बच्चों को कैसे पढ़ाएं कि उनका मन पढ़ाई में लगे…..?

बच्चे को टॉपर कैसे बनाएं ?

आज हम अपने इस ब्लॉग costudybuddy.com में उन सभी पेरेंट्स की समस्याओं का हल लेकर आएं हैं। जो अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर बहुत ही चिंतित रहते हैं क्योंकि आज के समय में हर अभिभावक यह चाहता है कि उसका बच्चा बचपन से ही अपनी कक्षा में टॉप करे, पढ़ाई – लिखाई में सबसे आगे रहे। तो आइए इस पोस्ट के जरिए हम यह जानते हैं कि बच्चे को टॉपर कैसे बनाएं….? 

बच्चों को कैसे पढ़ाएं कि उनका मन पढ़ाई में लगे ?

सभी Parents (माता – पिता) अपने बच्चों के भविष्य के बारे में उनके ( बच्चों के) बचपन से ही या शुरू से ही सोचने लगते हैं। वह अपने मन ही मन में विचार करने लगते हैं कि उन्हें अपने बच्चों को किस तरह से पढ़ाना चाहिए ताकि उनके बच्चों का मन पढ़ाई में लगे तथा अन्य अच्छे कार्यों में लगे क्योंकि सभी अभिभावक अपने बच्चों को एक सफल व्यक्ति (success person) बनाने की इच्छा रखते हैं और साथ ही साथ उनके भविष्य को भी उज्जवल देखना चाहते हैं।

सभी माता-पिता यह कामना करते हैं कि भविष्य में उनका बच्चा इस लायक हो जाए कि वह अपने पैरों पर खड़ा हो  ताकि उसे किसी के सामने मदद के लिए हाथ फैलाने की आवश्यकता ना पड़े। इसलिए  हमारा आज का यह पोस्ट उन माता-पिता के लिए ही है जो अपने बच्चे को बचपन से ही पढ़ाई में टॉपर  बनाना चाहते हैं।

बच्चों को टॉपर कैसे बनाएं ?

किसी भी क्षेत्र चाहे वह क्षेत्र पढ़ाई का हो खेलकूद का हो या फिर कोई अन्य क्रिएटिविटी (creativity) का हो उसमें टॉपर होना कोई आसान बात नहीं है क्योंकि टॉपर बनने के लिए हमें उस क्षेत्र में कड़ी मेहनत और लगन से कार्य करने की आवश्यकता होती है

जब तक हम दिन रात एक कर के कड़ी मेहनत और सच्चे लगन से किसी भी कार्य को नहीं करेंगे तो उस कार्य में टॉपर नहीं बन सकेंगे अर्थात हमें उस क्षेत्र में अपने लक्ष्यों की की प्राप्ति नहीं हो सकेगी और हमारा कार्य भी सफल नहीं हो पाएगा। इसलिए टॉपर बनने के लिए हमें शुरू से ही अपने अपने रुचिकर क्षेत्र पर  ध्यान देना पड़ता है।

यह बात तो सत्य है कि बच्चे तो बच्चे होते हैं उनका मन जब जो कहने का किया वह वही करते हैं यही कारण है कि छोटे बच्चों को पढ़ाई करवाना या उनका मन पढ़ाई में लगवाना बड़ा ही मुश्किल काम है लेकिन अगर आप हमारा यह पोस्ट पढ़ रहे हैं तो आपके लिए यह कोई भी कठिन कार्य नहीं है। 

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नीचे दी गई निम्न बिंदुओं को ध्यान में रखकर बच्चों का मन पढ़ाई में लगाया जा सकता है या बच्चों को टॉपर बनाया जा सकता है

???? Time table बनाएं 

किसी भी कार्य को करने से पहले उसकी योजना बनाना अति आवश्यक होता है क्योंकि योजना बना लेने से हम समय की बचत के साथ-साथ अपने उस कार्य को सफलता से करने में सक्षम होते हैं। यही कार्य हमें पढ़ाई के क्षेत्र में भी करना चाहिए। सभी अभिभावक को अपने बच्चों की दिनचर्या के अनुसार तथा उनके एकेडमिक ईयर के अनुसार एक टाइम टेबल बनाना चाहिए।

जिसमें वह अपने बच्चों के डेली रूटीन के कार्यों के साथ-साथ पढ़ाई का अतिरिक्त समय निर्धारित करें। इससे यह फायदा होगा की पढ़ाई के समय बच्चों के साथ-साथ माता-पिता भी पढ़ाई पर फोकस कर पाएंगे और बिना समय गवाएं अपने सभी कार्यों को करने के साथ-साथ पढ़ाई भी कर लेंगे।

अक्सर यह देखा जाता है कि कुछ अभिभावक जो जॉब करते हैं या बड़ी फैमिली में रहते हैं वह अपने बच्चों पर ज्यादा फोकस नहीं कर पाते हैं जिससे उनके बच्चों की पढ़ाई ज्यादा प्रभावित होते हैं क्योंकि बचपन में अगर माता-पिता अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देते हैं या उनकी पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते हैं तो बच्चों का मन भी पढ़ाई से हटता जाता है

क्योंकि बच्चों का मन तो चंचल होता है और पढ़ाई के लिए एक आक्रमण की आवश्यकता होती है जो कि बच्चे बिना अपने माता-पिता के सहयोग के नहीं कर पाते। इसलिए एक अभिभावक के लिए यह सबसे ज्यादा जरूरी है कि वह अपने बच्चों के लिए एक टाइम टेबल बनाएं।

???? खेल खेल में पढ़ाई करना

जैसा कि हम सब जानते हैं कि बच्चों को खेल खेलना बहुत ही अच्छा लगता है और कोई भी कार्य उनसे अगर खेल-खेल में करवाया जाए तो वह बड़ी ही रुचि से उस कार्य को करते हैं। इसलिए छोटे बच्चों के माता-पिता को अपने बच्चों के साथ खेल खेल में ही उन्हें पढ़ाई करवाना चाहिए…. जैसे – अगर बच्चे गार्डन में खेल रहे हैं

तो उनसे उनकी कक्षा में पढ़ाए जाने वाले विषय में शामिल पर्यावरण विषय से संबंधित प्रश्न पूछ सकते हैं, रस्सी कूदने वक्त बच्चों से 1-100 तक काउंट (count) करवा सकते हैं या टेबल भी पढ़ा सकते हैं, इत्यादि जैसे खेल – खेल में बच्चों को पढ़ाया जा सकता है।

???? खाली समय का करें सदुपयोग

जब आपके पास खाली समय हो तो उस समय में आप अपने बच्चों से बातें करें उनके स्कूल में क्या हुआ ,उनकी टीचर ने क्या कहा, उन्हें क्या होमवर्क मिला है,अन्य बच्चों से वह क्या-क्या बातें करते हैं ,पढ़ाई में उन्हें कौन सा सब्जेक्ट सबसे ज्यादा पसंद है ,इत्यादि सभी बातों को जानने की कोशिश करें ।

इससे आपको अपने बच्चों के रुचिकर विषय के बारे में  तो पता चलेगा ही इसके साथ ही इसका भी पता चलेगा कि आपका बच्चा किस विषय में ज्यादा कमजोर है। ताकि आप अपने बच्चे के सभी विषयों पर फोकस कर सकें और जिस विषय में वह ज्यादा कमजोर है उस पर ज्यादा फोकस करें। जिससे आपके बच्चे को कोई भी विषय कठिन ना लगे और वह अपनी कक्षा में अव्वल आए।

???? बच्चों के खेलकूद का भी रखें ध्यान

वर्तमान समय में कंपटीशन का दौर बढ़ता ही चला जा रहा है चाहे वह कंपटीशन पढ़ाई के क्षेत्र में हो, खेलकूद में हो, या अन्य कार्यों में हो। इसलिए इस कंपटीशन के दौर में अपने बच्चे को सबसे आगे रखने के लिए उसे पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद व अन्य कार्यों के लिए भी समय देने की आवश्यकता होती है क्योंकि हर बच्चे की रूचि अलग – अलग क्षेत्र में होती है ।

बच्चों के लिए पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद भी बहुत जरूरी होता है क्योंकि खेलकूद से बच्चों का शारीरिक व्यायाम होता है और मन शांत हो जाता है। इसीलिए बच्चों के टाइम टेबल में पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद के लिए भी समय निर्धारित करना चाहिए ताकि वह जब पढ़ने बैठे हैं तो पढ़ने में उनका मन लगे।

???? स्कूल से आने के बाद बच्चों को दें थोड़ा ब्रेक

बच्चे जब स्कूल जाते हैं तो वहां वहां पर उनका शारीरिक और मानसिक  व्यय होता है और जब वह स्कूल से घर आते हैं तो वहां पूरी तरह से थके हुए होते हैं। इसलिए सभी अभिभावक को यह ध्यान देना चाहिए कि बच्चे स्कूल से आने के बाद आधा घंटा के लिए आराम करें और इस अंतराल के दौरान वह ना वीडियो गेम देखें ना टीवी देखें और ना ही कोई अन्य कार्य करें क्योंकि स्कूल से आने के बाद आधे घंटे के ब्रेक में जब वह पूरी तरह से आराम करेंगे तो उनकी शारीरिक और मानसिक थकान दूर हो जाएगी जिसके कारण वह फिर से अपने पढ़ाई पर फोकस करने में सक्षम हो जाएंगे।

???? होमवर्क को बनाएं फन वर्क

बच्चे जब स्कूल से या ट्यूशन से पढ़कर घर पर आते हैं तो तो उनको उनके शिक्षक के द्वारा होमवर्क दिया जाता है। जिससे उन्हें घर से करके ले जाना होता है। लेकिन यही होमवर्क बच्चों को बोझ लगता है ऑल बच्चे अपना होमवर्क नहीं करना चाहते हैं जिससे वह अन्य बच्चों से पढ़ाई में पिछड़ जाते हैं। इसलिए सभी अभिभावक को अपने बच्चों के होमवर्क को फन वर्क बनाना चाहिए अर्थात होमवर्क को हंस खेलकर कंप्लीट करवाना चाहिए ताकि बच्चे की पढ़ाई का रिवीजन भी हो जाए और उसकी रुचि भी पढ़ाई में बनी रहे।

???? समय-समय पर करें मूल्यांकन

कोई भी कार्य सुचारु रुप से हो रहा है या नहीं यह जानने के लिए हम मूल्यांकन करते हैं। इसलिए अपने बच्चों की पढ़ाई का भी मूल्यांकन करना एक अभिभावक के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य होता है क्योंकि मूल्यांकन के द्वारा ही वह जान पाएंगे कि उनके बच्चे ने कितना सीखा और क्या नहीं सीख पाए जिससे वह अपने बच्चों की पढ़ाई पर अच्छे से ध्यान दे पाएंगे और बच्चे भी पढ़ाई में मन लगाएंगे और अपने क्लास में टॉप करेंगे।

मूल्यांकन के लिए आप 1 हफ्ते के अंतराल में अपने बच्चों का लिखित टेस्ट ले सकते हैं या मौखिक टेस्ट के द्वारा उनके विषय से संबंधित प्रश्नों को पूछ कर उनका मूल्यांकन कर सकते हैं।

उपयुक्त पंक्तियों में दर्शाए गए निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देकर अगर सभी अभिभावक अपने बच्चों की पढ़ाई करवाएं तो उनके बच्चों को टॉपर बनने से कोई भी नहीं रोक सकता है क्योंकि बच्चे जब छोटे रहते हैं तब पढ़ाई में उनको फोकस करवाने का कार्य उनके माता-पिता का होता है। जब माता-पिता अपने बच्चे को पढ़ाई में सहयोग करते हैं तो बच्चों का भी मन पढ़ाई में लगता है क्योंकि माता पिता ही एक ऐसी कुंजी है जो अपने बच्चों को सफलता की ओर ले जाते हैं।

Conclusion….

आज के अपने इस पोस्ट में हमने बच्चों की पढ़ाई से संबंधित सभी बातों को आपके समक्ष रखा है । इसमें हम नहीं विभिन्न तरीके बताए हैं जिसके द्वारा आप अपने बच्चों को पढ़ाई में फोकस करवा सकते हैं और स्कूल में उसे टॉपर बना सकते हैं 

हम यह आशा करते हैं कि सभी अभिभावक को हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा और वह अगर इसके अनुसार अपने बच्चों की पढ़ाई पर फोकस करेंगे तो उनके बच्चे टॉपर जरूर बनेंगे।

धन्यवाद….????

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