IPC Dhara 499 kya hai ?
IPC Dhara 499 मानहानि का मतलब सिंपल शब्दों में यह होता है की मान और हानि हमारे मान और सम्मान पर ठेस पहुंचाना। किसी एक व्यक्ति के द्वारा दूसरे व्यक्ति पर झूठे आरोप लगाना, लांछन लगाना, उस पर संकेतों द्वारा, दृश्य द्वारा, या शब्दों द्वारा बोलकर उसका अपमान करना, बोलकर, पढ़कर, लिखकर, दृश्य, धारा, विश्वास, के द्वारा अगर किसी व्यक्ति पर झूठा लांछन लगता है तो ऐसे में धारा मानहानि का धारा 499 का में आता है इसकी सजा का प्रावधान धारा 500 में दिया गया है मानहानि के केस में जो व्यक्ति दूसरे को मानहानि की कोशिश करता है तो उसकी सजा 2 साल की होती है या आर्थिक सजा भी होता है
मानहानि का केस कितने तरीके से लगाया जा सकता है।
इस केस को हम दो तरीके से लगा सकते हैं।
- Civil case (नागरिक मामला)
- Criminal case (आपराधिक मामला)
Civil case (नागरिक मामला ) क्या है ।
मानहानि में सिविल केस होता है तो उसमें सजा नहीं मिलता है मुआवजा दिया जाता है compensation defence यानि उस इंसान का जिस पर यह लांछन लगाया गया है उसका कितना नुकसान हुआ जो भी इज्जत मान सम्मान जो भी गई है उसको हटाया जाए इसमें सजा नहीं दी जाती है मुआवजा के द्वारा इस केस से छुटकारा पा सकते हैं।
Criminal case (अपराधिक मामला) क्या है।
लेकिन क्रिमिनल केस जो आईपीसी धारा 500 के तहत होता है अगर कोई व्यक्ति मानहानि कि किस में पाया जाता है तो 2 साल की सजा हो सकती है
कहानी के तत्व के अनुसार
- किसी व्यक्ति पर झूठा आरोप लगाना उसके द्वारा झूठा जो लांछन आरोप लगाता है वह कई लोगों द्वारा प्रकाशित करना मतलब कि बहुत सारे लोगों में उसको बता देना।
- ऐसा लांछन जनता द्वारा, संकेतों द्वारा, और फोटो के द्वारा, अभद्र फोटो को पब्लिश कर देना, तरीके से भी लगाया जा सकता है
- शादी करने के लिये जबर्दस्ती करने का प्रयास
कानून की नजर में, पति और पत्नी दोनों एक व्यक्ति हैं और पति से पत्नी या इसके विपरीत मानहानिकारक मामले का संचार कोई प्रकाशन नहीं है और यह धारा 499 के दायरे में नहीं आएगा। भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 122 1872 पति और पत्नी के बीच विशेषाधिकार प्राप्त प्रतियोगिता संचार से संबंधित है और उन्हें धारा 499 के दायरे से बाहर कर देता है सिवाय विवाहित व्यक्तियों के बीच, या एक कार्यवाही में जिसमें एक विवाहित व्यक्ति पर दूसरे के खिलाफ किए गए किसी भी अपराध के लिए मुकदमा चलाया जाता है।
एक प्रमुख मामले में टी.जे. पोन्नन बनाम एम.सी वर्गीज, 1968 अदालत ने माना कि पति की ओर से उसकी पत्नी को ससुर से संबंधित मानहानि का पत्र मानहानि की राशि नहीं होगी। यह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 122 में निर्धारित पति और पत्नी के बीच विशेषाधिकार प्राप्त संचार के दायरे में बहुत अधिक शामिल होगा।
ज़ीनत वर्नाकोटे इलथ बनाम कोटलमना केशवन, (1900) मानहानिकारक मामले को प्रकाशित किया जाना चाहिए, अर्थात, उस व्यक्ति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को सूचित किया जाना चाहिए जिसके बारे में इसे संबोधित किया गया है, जैसे, हुक्म चलाना संवैधानिक वैधता।
सुब्रमण्यम स्वामी बनाम यूओआई, कानून मंत्रालय, 2016, कानून मंत्रालय और सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 499 और 500 की संवैधानिक वैधता, 1860 और आपराधिक प्रक्रिया संहिता, (सीआर पीसी, 1973) की धारा 199 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा था।
यह अदालत ने इस मामले में, की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा आपराधिक मानहानि का अपराध। और इस बात से इंकार किया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और धारा 500, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर उचित प्रतिबंध लगाते हैं। जेठमलानी ने कहा कि राजीव गांधी की हत्या के मामले में तमिलनाडु के तत्कालीन सीएम की रक्षा के लिए उन्हें एक प्रतिबंधित संगठन से पैसा मिला था।
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राम जेठमलानी बनाम सुब्रमण्यम
2006 के मामले में अदालत ने डॉ स्वामी को राजीव की हत्या के मामले में तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री की रक्षा के लिए एक प्रतिबंधित संगठन से धन प्राप्त करने का कहकर श्री जेठमलानी को बदनाम करने के लिए उत्तरदायी ठहराया। गांधी। जीनत
अरुण जेटली बनाम अरविंद केजरीवाल
2018 के एक अन्य हालिया मामले में, अदालत ने अरविंद केजरीवाल और उनके 5 अन्य नेताओं के बयान को मानहानिकारक बताया। हालांकि, सभी प्रतिवादियों द्वारा अपने कार्यों के लिए माफी मांगने के बाद आखिरकार मामले का खुलासा हो गया।
स्पष्टीकरण
- किसी मृत व्यक्ति पर लांछन लगाना।
यह कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है उसके बाद भी उस पर आरोप लगाया जाता है यह उसकी फैमिली को परेशान करने के लिए या उसका रेपुटेशन गिराने के लिए लांछन लगाया जाता है
तो ऐसे में मानहानि डिफॉर्मेशन का केस होता है कहने का मतलब यह है मानहानि केस जीवित इंसान पर भी हो सकती है और मित्र इंसान पे imputation of truth with public good requirement any person. भी लगाया जा सकता है
- किसी कंपनी या संगम या व्यक्तियों का समूह;-
- निर्देश पुणे व्यंगपुर तरीके से रखा गया है तो वह भी मानहानि के केस में आएगा
जो हमारा आखरी स्पष्टीकरण है अगर किसी व्यक्ति पर मानहानि का केस लगाया गया है उस पर कोई दूसरा व्यक्ति प्रत्यक्ष रूप से अप्रत्यक्ष रूप से उसको देखता है या नीचा दिखाने की कोशिश करता है
- यह कथन तभी शक्तिमान आ जाएगा जब किसी एक व्यक्ति पर हो जैसे की हम कह सकते हैं कि पूरे कंपनी चोर नहीं हो सकती है कोई एक ही व्यक्ति को चोर बोल सकते हैं वह मानहानि का केस होगा।
Exception ; अपवाद
- जनता की भलाई के साथ सत्य का आरोप किसी भी व्यक्ति की आवश्यकता है।
अगर कोई स्टेटमेंट या सफाई दी गई है अगर वह डिफॉर्मेशन मतलब मानहानि जनता के द्वार फैलाई गई हो और वह सही है तथा पब्लिक के हित में है किसी भी व्यक्ति के मान सम्मान बढ़ाने के लिए हैं तो ऐसे केस में मानहानि नहीं होगा। इसको हम उदाहरण के साथ समझाते हैं जिससे आप को समझने में आसानी हो
उदाहरण;
जैसे कि A और B दो medicine 💊 दो कंपनियां हैं ए सही मेडिसिन यानी दवा कंपनी की बेचता है और भी नहीं वह मेडिसिन को सॉल्ट गलत बेचता है। 1 को बी के बारे में सब कुछ पता होता है वही ए यह सारी बातें पब्लिक के हित में पब्लिक के सपोर्ट में यह सब न्यूज़ पेपर में छपवा देता है या पुलिस कंप्लेंट कर देता है तो यह मानहानि का केस नहीं होगा।
अगर वह अपने हित के लिए करता है तब मानहानि का केस हो सकता है लेकिन हम उस व्यक्ति इंटेंट का पता कैसे लगाएं क्यों मेरे हित के लिए अपनी हित के लिए कर रहा है या पब्लिक की सपोर्ट के लिए कहते हैं इसका पता लगाने के लिए हमें धारा आईपीसी धारा intention/ motive 8 द्वारा पता लगाया जा सकता है।
लोक सेवक का सार्वजनिक आचरण।
जैसा कि कोई भी डॉक्टर अगर वह ऑफ ड्यूटी है और वह कहीं जा रहा है और कोई भी व्यक्ति का एक्सीडेंट हाईवे पर हुआ है वह गिरा पड़ा अभी उसी हालत में है डॉक्टर ने उसे उठाया और उसका इलाज किया फिर भी वह इंसान बचना सका तो वहां पर जो भी पब्लिक होती है यह उसके फैमिली वाले डॉक्टर को ब्लेम करते हैं तो ऐसे में मानहानि का केस होगा।
अगर वह ऑन ड्यूटी में है डॉक्टर तो वह मरीज का इलाज करता है तो उस दौरान उसको कुछ होता है तो पब्लिक या फैमिली उस दौरान डॉक्टर के ऊपर कुछ भी आरोप लगाते हैं या केस करते हैं तो वह मानहानि नहीं मानी जाएगी।
सार्वजनिक प्रश्न को छूने वाले किसी व्यक्ति का आचरण।
अपवाद नंबर 3 में एक आदमी शिक्षित है एक तरफ गांव के लोग हैं जिनका जमीन बाढ़ एरिया में है और वह डूब जाता है सरकार उनको मुआवजा देने का बात करती है लेकिन यह उनको कैसे मिलेगा हमको नहीं पता रहता है इसके लिए वह एक शिक्षित वाले व्यक्ति के पास जाता है और कहता है भाई मुझे मेरा सरकार द्वारा मिलने वाला मुआवजा दिला दो तो कहता चल भाई ठीक है मैं करता हूं तभी कोई तीसरा व्यक्ति आता है तो बोलता है कि यह पer मानहानि का केस होगा।
कुछ नको ेगा A के ऊपर ब्लेम लगाते हैं तो ए जो व्यक्ति है उस पर मानहानि का केस करने जाता है पर ऐसे में मानहानि का केस होना चाहिए लेकिन मानहानि का केस नहीं होता है
अदालती कार्यवाही की रिपोर्ट का प्रकाशन
यह एक व्यक्ति है जिसको पर क्रिमिनल केस है कोई भी कोर्ट ने उसको दोस्तों से भी साबित कर दिया है जजमेंट भी कर दिया है यह जजमेंट कोई दूसरा व्यक्ति उसको पूरे मोहल्ले या शहर में जाकर बता देता है तो यह मानहानि का केस नहीं होगा।
गवाह या अन्य के आचरण के लिए अदालत में तय किए गए मामले की योग्यता
जो लोग कोर्ट के फैसले को गलत साबित करते है तो इसे में मानहानि नहीं होगा।
सार्वजनिक प्रदर्शन की योग्यता
किसी के भी परफोमेशन के आधार कोई भी पब्लिक जज नही कर सकती है।इस के मानहानि का केस नहीं बन सकता है।
कम पूर्ण अधिकार रखने वाले व्यक्ति द्वारा अच्छे विश्वास में सेंसर पारित किया गया
जैसे की कोई
- अधिकृत व्यक्ति को सद्भाव में सजावट पसंद
- इन या अन्य इंटों की सुरक्षा के लिए व्यक्ति द्वारा सद्भावपूर्वक किया गया प्रभाव
- सावधानी का इरादा उस व्यक्ति की भलाई के लिए है जिसके लिए शंकु या सार्वजनिक भलाई के लिए
NOTE
हम आशा करते हैं हमारे द्वारा दिया गया इन सभी जानकारियों से आप संतुष्ट होंगे और हमारा यह लेख आपको बेहद पसंद आया होगा ।
दोस्तों शिक्षा से जुड़ी किसी भी प्रकार की किसी भी तरह की अगर आपको कोई भी जानकारी चाहिए तो आप हमें बेझिझक होकर कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं और आपके सवालों को मद्देनजर रखते हुए हमारा अगला लेख तैयार होगा जिसमें जिन भी छात्र – छात्राओं ने सवाल पूछा होगा उस आर्टिकल में उन सभी बच्चों का नाम प्रतिपादित होगा।
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