भारतीय संविधान का अनुच्छेद 360
भारतीय संविधान के भाग 18 में आपातकाल संबंधी उपबंध दिए गए हैं जिसके अंतर्गत तीन तरह के आपातकाल को बताया गया है यहां हम वित्त संबंधी आपातकाल के बारे में जानेंगे इसका वर्णन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 में किया गया है।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 360 क्या है
- अनुच्छेद 360 के अंतर्गत राष्ट्रपति वित्तीय आपातकाल को उस समय पूर्णता लागू करेगा जब उसे यह विश्वास हो जाए कि देश की आर्थिक स्थिति अत्यधिक गंभीर है जिससे वित्तीय स्थायित्व को खतरा है वित्तीय आपातकाल लागू होने पर आम आदमी के संपत्ति एवं पैसे पर सरकार का अधिकार होगा हालांकि वित्त संबंधी आपातकाल अभी तक एक भी बार लागू नहीं किए गए हैं।
पूर्ण विवरण
- यदि राष्ट्रपति का यह समाधान हो जाता है की किसी भी राज्य क्षेत्र की वित्तीय स्थिति अस्थाई त्व प्रत्यय संकट में है तो वह घोषणा द्वारा यह आदेश देगा कि
- (२) खंड (१) किसके अधीन दी घोषणा किसी पश्चात भर्तियों की घोषणा द्वारा वापस ली जा सकेगी या परिवर्तनीय होगी संसद के प्रत्येक सदन में रखी जाएगी तथा 2 मास की समाप्ति पर प्रवर्तनीय नहीं रहेगी यदि उस अवधि की समाप्ति से पहले संसद के दोनों सदनों को संकल्पों द्वारा उसका अनुमोदन नहीं कर दिया जाता है परंतु यदि ऐसी कोई उद्घोषणा उस समय की जाती है जब लोकसभा का विघटन हो गया हो तथा इस में निर्दिष्ट 2 मार्च की अवधि के दौरान हो जाता है और यह घुसने का अनुमोदन करने वाला संकल्प राज्य सभा द्वारा पारित कर दिया गया है किंतु ऐसी उद्घोषणा के संबंध में कोई संकल्प लोस द्वारा उस समय की समाप्ति से पहले पारित नहीं किया गया है तो उद्घोषणा उस तारीख से जिसको लोकसभा अपने पुनर्गठन के पश्चात प्रथम बार बैठती है 1 माह की समाप्ति पर परिवर्तन में नहीं रहेगी यदि उक्त 1 माह की अवधि की समाप्ति से पहले घोषणा का अनुमोदन करने वाला संकल लोकसभा द्वारा भी पारित नहीं कर दिया गया जाता है
- (३) उस अवधि के दौरान में जिसमें खंड 1 में लिखित उद्घोषणा प्रवृत्त रहती है संघ की कार्यपालिका का शक्ति का विस्तार किसी राज्य को वित्तीय संबंधी ऐसे सिद्धांतों का पालन करने के लिए निर्देश देने तक जोनी देशों में विनिर्दिष्ट किया जाए और ऐसे अन्य निर्देश देने तक होगा जिन्हें राष्ट्रपति उस प्रयोजन के लिए देना आवश्यक समझे और पर्याप्त समझे।
- (४) ऐसे किसी निर्देश के अंतर्गत राष्ट्रपति किसी धन विधेयक या अन्य ऐसे विधायकों को जिनको अनुच्छेद 207 के प्रबंध लागू होते हैं राज्य के विधान मंडल द्वारा पारित किए जाने के पश्चात राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रखने के लिए उपबंध हो सकेंगे
- (५) राष्ट्रपति उस अवधि के दौरान जिसमें इस अनुच्छेद के अधीन दी गई उद्घोषणा रहती है संघ के कार्यकलाप के संबंध में सेवा करने वाले सभी किसी वर्ग के व्यक्ति जिनके अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की जज वेतन और भत्तों में कमी करने के लिए निर्देश देने के लिए सक्षम होगा।
अधिक जानकारी के लिए
- IPC Indian penal code की धारा 411 क्या है
- CRPC की धारा 125 क्या है
- धारा 375 क्या है तथा इससे जुड़े दंड प्रावधान क्या है?
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