आतंकवाद क्या है :प्रकार, स्थिति एवं समाधान
दोस्तों आज हम आपको आतंकवाद क्या है, आतंकवाद प्रकार , आतंकवाद की स्थिति एव आतंकवाद का समाधान के बारे में आज हम एस लेख के माध्यम से हम आप तक इससे जुडी सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कराएगे
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“वातावरण में अजीब सी दहशत है
कि वह कौन है,
जो हमारी रघो में खून नहीं,
ताम्र दौड़ा जाता है,”
कविवर राजेंद्र कुमार की उपर्युक्त पंक्तियां अनायास ही दिमाग में कौंध जाती हैं जब भी कोई आतंकवाद का जिक्र भी करता है वर्तमान विश्व में आतंकवाद एक अत्यंत भयानक एवं व्यापक समस्या है ।
देश में आतंकवादी हिंसा की बढ़ती घटनाओं को मध्य नजर रखते हुए भारत में उभरती हुई एक सर्वसम्मति है कि आतंकवाद से निपटने के लिए एक दृढ़ एवं मजबूत ढांचा सृजित किया जाना चाहिए । आज वर्तमान समय में आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में सुरक्षा बलों को शुद्ध बनाने की आवश्यकता है ।
आज आतंकवाद विश्व की अनेक गंभीर समस्याओं में एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है क्योंकि यह संगठित अपराध गैरकानूनी वित्तीय अंतरण शस्त्र तथा मादक द्रव्य के अवैध व्यापार जैसे कृतियों के साथ समायोजित हो गया है
जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है । भारत जैसा बहु- सांस्कृतिक, उदार एवं प्रजातांत्रिक देश अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण आतंकवादी गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है।
आतंकवाद : परिभाषा एवं उत्पत्ति
वैसे तो आतंकवाद की सर्व सम्मत वैश्विक परिभाषा नहीं बने हैं फिर भी हम कह सकते हैं कि किसी विचारात्मक आधार पर की गई हिंसा जिसमें बड़ी लागत में निर्दोष आम जनता मारी जाती हैं, “आतंकवाद” कहलाती हैं ।
आतंकवाद शब्द की उत्पत्ति फ्रांसीसी क्रांति के दौरान वर्ष 1793 -94 के आतंक के शासन से हुई ।
आज अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद अधिकांशत इस्लामी रूढ़िवाद की विचारधारा से प्रेरित है तथा इसकी अग्र पंक्ति में ओसामा बिन लादेन का अल-कायदा और इसके घनिष्ठ सहयोगी अफगानिस्तान में तालिबान है ।
सोवियत विरोधी नीतियों के कारण तालिबान की तेज बुद्धि संयुक्त राज्य अमेरिका की CIA और पाकिस्तान की ISI द्वारा दिए गए व्यापक संरक्षण के कारण संभव हुई थी।
इससे ना केवल अफगानिस्तान बल्कि पाकिस्तान और भारत में भी सुरक्षा संबंधी गंभीर चिंताएं उत्पन्न हो चुकी है ।
आतंकवाद के प्रकार :
आतंकवादी समूह के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए आतंकवादी गतिविधियों के कुछ मुख्य प्रकारों का वर्णन निम्नलिखित है –
1.मानव जातीय राष्ट्रवादी आतंकवाद :
अपने उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए किसी उप राष्ट्रीय मानव जाति समूह द्वारा जानबूझकर की गई हिंसा को मानव जाति आतंकवाद कहा जा सकता है ।
ऐसे इंसान प्राय: या तो पृथक राज्य के सृजन अथवा एक मानव जाति समूह द्वारा दूसरे समूह की तुलना में अपने स्तर को बढ़ाने के लिए की जाती है
पूर्वोत्तर भारत में अलगाववादी समूह मानव जाति राष्ट्रवादी आतंकवादी गतिविधियों का एक प्रमुख उदाहरण है ।
2.धार्मिक आतंकवाद :
वर्तमान में अधिकांशत आतंकवादी गतिविधियां धार्मिक आदेशों और आवश्यकताओं द्वारा अभिप्रेरित होती हैं
धार्मिक आदेशों द्वारा प्रेरित आतंकवादी , आतंकवादी हिंसा को दैवी कर्तव्य अथवा पवित्र कृत्य मानते हैं ।
अन्य आतंकवादी समूह की तुलना में धार्मिक आतंकवादी वैधता और औचित्य के विभिन्न साधनों का प्रयोग करते हैं जो धार्मिक आतंकवाद को प्रकृति में और अधिक विनाशकारी बना देता है ।
3.विचारधारोन्मुख आतंकवाद :
हिंसा और आतंकवाद में विचारधारा के उपयोग के आधार पर आतंकवाद को साधारणतया 2 वर्ग वामपंथी और दक्षिणपंथी आतंकवाद में वर्गीकृत किया जाता है ।
वामपंथी आतंकवाद अधिकांशत वामपंथी विचारधारा से प्रेरित होकर शासक वर्ग के विरुद्ध कृषक वर्ग द्वारा की गई हिंसा होती हैं।
वामपंथी विचारधारा विश्वास करते हैं कि पूंजीवादी समाज में मौजूदा सभी सामाजिक संबंध और राज्य की प्रकृति शोषण आत्मक है
और हिंसक साधनों के माध्यम से एक क्रांतिकारी परिवर्तन अनिवार्य है ।भारत और नेपाल में माओवादी गुट इसके प्रमुख उदाहरण है।
जबकि
दक्षिणपंथी समूह आमतौर पर यथास्थिति बनाए रखना चाहते हैं अथवा अतीत की उस पूर्व स्थिति को स्थापित करना चाहते हैं जिसमें वे संरक्षक महसूस करते हैं ।
4.साइबर आतंकवाद :
साइबर आतंकवाद ,आतंकवाद और साइबर स्पेस का संयोजन है। इसे मुख्यता राजनीतिक अथवा सामाजिक हितों की पूर्ति के लिए अथवा सरकार या लोगों को भयभीत या पीड़ित करने के आशय से कंप्यूटर ,नेटवर्क और उसमें संग्रहित सूचना के विरुद्ध गैर कानूनी आक्रमण की धमकी के अर्थ में समझा जा सकता है ।
साइबर आतंकवाद सूचना और संचार प्रौद्योगिकी में उन्नति के कारण विकसित आतंकवादी कार्य नीति का सर्वाधिक उन्नत साधन है जो आतंकवादियों को न्यूनतम के कारण अपना कार्य करने में समर्थ बनाता है।
आतंकवाद की समस्या का समाधान
आतंकवाद की भयावह स्थिति को देखते हुए मस्तिष्क में केवल एक ही प्रश्न आता है कि क्या इस अमाननीय कृत्य के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती?
इसको रोकने हेतु कोई प्रयास नहीं किया जा सकता ?
वास्तविकता यह है कि किसी भी समस्या का समाधान होता ही है क्योंकि आतंकवाद एक वृहद जटिल समस्या है अतः इसका समाधान भी कई स्तरों पर करना होगा।
इसके लिए कुछ दीर्घकालिक कुछ अल्पकालिक कार्यक्रम बनाने होंगे ।
दीर्घकालिक प्रावधानों में निम्न कार्यक्रम बनाने चाहिए-
- विश्व के सभी देशों के बीच सभी देशों के सभी वर्गों, जातियों ,समूहों के मध्य सामाजिक न्याय व अधिकार की पहुंच बनाना.।
- वैश्विक गांव की स्थापना में विभिन्न देशों की संस्कृतियों को एक ढांचे में ढालने की कोशिश करना ।
- गांधीवादी विचारधारा तथा सत्य अहिंसा पर संपूर्ण विश्व बल दे।
- शिक्षा व स्वास्थ्य तथा सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराना ।
इन दीघृकालीन उपायों के अतिरिक्त हम कुछ अल्पकालीन कार्रवाई के उपाय भी अपना सकते हैं
जैसे –
1.विश्व स्तर पर आतंकवाद की सामान्य परिभाषा तय करना चाहिए ।
2.उसे खत्म करने हेतु एक व्यापक संधि की जाए आतंकवादी कार्रवाइयों में लिप्त लोगों व आतंकियों को शीघ्र अति शीघ्र दंडित किया जाना चाहिए ।
3.आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त खुफिया एजेंसी का एक समन्वित ढांचा तैयार किया जाना चाहिए और अंतिम तौर पर अमेरिका तथा यू सी पद्धति को आतंकवादियों से निपटने के लिए अपनाया जाना चाहिए।
4.जनता को आतंकवादी गतिविधियों से बचने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए ।
निष्कर्ष :
उपर्युक्त विवेचना के आधार पर हम क्या सकते हैं यदि हम उपर्युक्त गतिविधियों का पालन करें तो आतंकवाद हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए एक अतित घटना मात्र बनकर रह जाएगा।
भारत आतंकवाद के सबसे अधिक पीड़ित देशों में से एक है
परंतु हमारे समाज ने सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक तालमेल बनाए रखते हूए बारंबार एवं बेलगाम आतंकवादी हमलों के समय अभूतपूर्व साहस तथा शक्ति प्रदर्शित की है।
आतंकवादी किसी धर्म या विशेष समुदाय के नहीं होते।
आतंकवाद कुछ उग्र लोगों, जो अपने घृणित लक्ष्यों की प्राप्ति में निर्दोष नागरिकों की हत्या का आश्रय लेते हैं और इसके माध्यम से वे प्रजातंत्र एवं सभ्य समाज पर हमला करते हैं इसी का मिलाजुला रूप है।
आतंकवादियों और राष्ट्र विरोधी कार्यकलापों के विरुद्ध सुरक्षा एजेंसियों द्वारा शपथ और सख्त कार्रवाई करने के अतिरिक्त नागरिक समाज भी आतंकवादी कार्यकलापों को रोकने और आतंकवाद की विचारधारा को परास्त करने में मुख्य भूमिका निभा सकता है ।
आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष करने में नागरिकों और प्रचार माध्यम द्वारा सहयोग भी समान रूप से महत्वपूर्ण है ।
अतत हम कह सकते हैं कि सुशासन, सम्मिलित विकास, सतर्क प्रसार माध्यम और एक जागरूक नागरिकता के माध्यम से एवं संयोजित कानूनी एवं प्रशासनिक उपायों को शामिल करते हुए एक बहुआयामी दृष्टिकोण आतंकवाद के किसी भी रूप को परास्त कर सकता है।
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धन्यवाद 😊VS

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