Maa durga ki puja vidhi, माँ दुर्गा की पूजा विधि

Maa durga ki puja vidhi, माँ दुर्गा की पूजा विधिMaa durga ki puja vidhi, माँ दुर्गा की पूजा विधि: सही आराधना और उसके लाभ

Maa durga ki puja vidhi, माँ दुर्गा की पूजा विधि: माँ दुर्गा की पूजा हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखती है।

माँ दुर्गा शक्ति और साहस की देवी मानी जाती हैं, जो अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उन्हें सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से मुक्त करती हैं।

नवरात्रि, दुर्गा पूजा, और अन्य विशेष अवसरों पर माँ दुर्गा की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस लेख में हम माँ दुर्गा की पूजा की सही विधि और इसके लाभों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

Maa durga ki  पूजा की सामग्री:

Maa durga ki   पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  1. माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र
  2. साफ वस्त्र, फूल, माला
  3. दीपक, धूप, अगरबत्ती
  4. लाल कुमकुम, अक्षत (चावल), रोली
  5. नारियल, पान के पत्ते
  6. फल और मिठाई (भोग के लिए)
  7. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण)
  8. गंगाजल, तांबे का कलश
  9. चंदन, हल्दी, मेहंदी
  10. हवन सामग्री (यदि हवन किया जा रहा हो)
  11. वस्त्र, चुनरी (माँ दुर्गा को अर्पित करने के लिए)
  12. नवग्रह और नवदुर्गा के नामों के मंत्र

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Maa durga ki पूजा विधि:

1. स्नान और शुद्धिकरण:

  • सबसे पहले, खुद को शुद्ध करें। सुबह स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को साफ करें और उसे शुद्ध करने के लिए गंगाजल छिड़कें।

2. माँ दुर्गा का आवाहन:

  • माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें। माँ दुर्गा को लाल वस्त्र या चुनरी अर्पित करें।
  • दीपक जलाकर और धूप-अगरबत्ती जलाकर माँ दुर्गा का आवाहन करें। माँ के सम्मुख दीपक रखकर “ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे” मंत्र का जाप करें।

3. पंचोपचार पूजा:

  • माँ दुर्गा की पूजा पंचोपचार विधि से करें, जिसमें पाँच तत्व शामिल होते हैं: धूप, दीप, गंध, पुष्प, और नैवेद्य
    • गंध: माँ को चंदन, कुमकुम और हल्दी अर्पित करें।
    • पुष्प: माँ को लाल फूल, विशेष रूप से गुड़हल के फूल अर्पित करें।
    • धूप: धूप जलाकर माँ को समर्पित करें।
    • दीप: दीपक जलाकर माँ दुर्गा के सामने रखें।
    • नैवेद्य: फल, मिठाई और पंचामृत अर्पित करें।

4. आरती:

  • आरती के समय घंटी बजाकर और दीपक घुमाकर माँ दुर्गा की आरती करें। आरती के समय “जय अम्बे गौरी” या “दुर्गा चालीसा” का पाठ किया जा सकता है।

5. मंत्र जाप:

  • पूजा के दौरान माँ दुर्गा के मंत्र का जाप करें। यह जाप मानसिक शांति और शक्ति प्रदान करता है।
    • मूल मंत्र: “ओम दुं दुर्गायै नमः”
    • महामंत्र: “ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”

6. हवन (वैकल्पिक):

  • यदि आप हवन करना चाहते हैं, तो माँ दुर्गा के सामने अग्नि प्रज्वलित करें और हवन सामग्री से आहुति दें। “स्वाहा” मंत्र के साथ आहुति अर्पित करें।.

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7. नवदुर्गा का पूजन:

  • माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की भी पूजा करें। नवदुर्गा के नाम हैं: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री।

8. भोग और प्रसाद:

  • पूजा के अंत में माँ दुर्गा को अर्पित नैवेद्य (भोग) को प्रसाद के रूप में सभी को वितरित करें।

9. व्रत और ध्यान:

  • कई भक्त माँ दुर्गा की पूजा के साथ व्रत भी करते हैं। व्रत के दौरान उपवास रखकर माँ दुर्गा का ध्यान किया जाता है। व्रत के अंतिम दिन विशेष पूजा और हवन करके व्रत का पारण किया जाता है।

Maa durga ki पूजा के लाभ:

माँ दुर्गा की पूजा करने से व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  1. शक्ति और साहस का संचार: माँ दुर्गा शक्ति की देवी हैं। उनकी पूजा से व्यक्ति को साहस, आत्मविश्वास और जीवन में आने वाली कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति मिलती है।
  2. संतान सुख: माँ दुर्गा की कृपा से नि:संतान दंपति को संतान की प्राप्ति होती है। उनकी आराधना करने से परिवार में सुख-शांति का वास होता है।
  3. समृद्धि और सुख-शांति: माँ दुर्गा की पूजा से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वातावरण बनता है। व्यापार और व्यवसाय में उन्नति होती है।
  4. नकारात्मक शक्तियों से रक्षा: माँ दुर्गा की पूजा से व्यक्ति को सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है। यह पूजा बुरी नजर, शत्रुओं और दुर्भाग्य से बचाव करती है।
  5. कष्टों से मुक्ति: माँ दुर्गा की कृपा से व्यक्ति को जीवन के सभी कष्टों और समस्याओं से मुक्ति मिलती है। उनकी पूजा करने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं।
  6. धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति: माँ दुर्गा की पूजा से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है। उनकी आराधना से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग सुगम होता है।
विशेष अवसर पर माँ दुर्गा की पूजा:

माँ दुर्गा की पूजा विशेष रूप से नवरात्रि, दुर्गा अष्टमी, और विजयदशमी के दौरान की जाती है। इन दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ और माँ दुर्गा की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। भक्त 9 दिनों तक व्रत रखते हैं और माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं।

(Ma durga chalisa) दुर्गा चालीसा

नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अंबे दुख हरनी॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥

तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुंदरी बाला॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥

धरा रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दया सिंधु दीजे मन आसा॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥

मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुखदाता॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्नभाल भव दुःख निवारिणी॥

केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥

कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भागै॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहुं लोक में डंका बाजत॥

शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

परी गाढ़ संतन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥

अमरपुरी अरु बसव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावे।
दुःख-दरिद्र नित निकट न आवे॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताको छुटि जाई॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥

शंकर आचारज तप कीनो।
काम क्रोध जीति सब लीनो॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

आशा तृष्णा निपट सतावें।
रिपु मुरख मोही डरपावे॥

शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥

करौं कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला॥

जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ॥

दुर्गा चालीसा जो कोई गावे।
सब सुख भोग परमपद पावे॥

देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

दोहा:

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरि नारायणि नमोस्तुते॥

दुर्गा जी की आरती: ॐ जय अम्बे गौरी…

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।

सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।

कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।

धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।

मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,

भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।

श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

 

श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

निष्कर्ष:

माँ दुर्गा की पूजा विधि सरल होने के साथ-साथ अत्यधिक फलदायी है। सही विधि और मंत्रों के साथ माँ दुर्गा की आराधना करने से व्यक्ति को जीवन में शक्ति, साहस, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। माँ दुर्गा अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं और उन्हें सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाती हैं

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