धारा 375 क्या है तथा इससे जुड़े दंड प्रावधान क्या है?

 धारा 375 क्या है तथा इससे जुड़े दंड प्रावधान क्या है?

  दोस्तो आज हम इस लेख में जानेंगे कि  IPC की धारा 375 क्या है तथा इससे जुड़े  मामले और इससे जुड़े दंड प्रावधन का  विस्तार से अध्ययन करंगे ।

✍  यौन अपराध ( sexual Offence)

IPC की धारा 375बलात्संग’ से संभंधित है

विवरण – जो पुरुष किसी स्त्री  के साथ बिना उसकी इच्छा से अपवादित दशा के सिवाय किसी स्त्री के साथ निम्नलिखित 6 भांति की परिस्थितियों में मैथुन (sex) करता है वह पुरुष ‘बलात्संग करता है।

  वह 6 परिस्थितियां कुछ इस प्रकार है

  • उस स्त्री के इच्छा के विरुद्ध मैथुन करना।
  • उसकी स्त्री कि मैथुन करने की सहमति ना होना।
  • उसकी स्त्री की सहमति से जबकि उसकी सहमति उसे या ऐसे किसी व्यक्ति को जिससे वह इतवड है मृत्यु या उपहति के भय में डालकर अभीप्राप्त की गई है (मृत्यु के भय को दिखाकर उसके साथ मैथुन करना)
  • पुरुष यह जानता हो कि वह, उस स्त्री का पति नहीं है ,और उस स्त्री ने मैथुन के लिए सहमति दी है क्योंकि स्त्री विश्वास करती है कि वह एक ऐसा पुरुष है, जिससे वह विधि पूर्वक विवाहित है या विवाहित होने का विश्वास रखती है और इस विश्वास पर उस पुरुष ने उसको मैथुन करने के लिए राजी किया। तो यह बलात्संग होगा।
  • पुरुष द्वारा स्त्री को विकृतचित्र अवस्था में मैथुन के लिए राजी करना तथा स्त्री को इस बात का भनक भी ना लगना कि वह इसके बारे में उस पुरुष को सहमति दे रही है तथा उस पुरुष के द्वारा अस्वस्थकारी नशीली पदार्थ दिए जाने के कारण वह स्त्री विकृतशील (बेहोश)अवस्था में उस पुरुष को मैथुन के लिए सम्मति दे देती है क्योंकि वह प्रकृति और परिणामों को समझने में असमर्थ है।
  •  उस स्त्री की सहमति से या बिना
  •  सहमति के ,जबकि वह 16 वर्ष से कम  आयु की है तथा मैथुन के लिए कोई पुरुष उस स्त्री को बाध्य करता है तो वह बलात्संग का भागी होगा।
 👉 जरूरी स्पष्टीकरण
  •  बलात्संग के अपराध के लिए आवश्यक है कि मैथुन गठित करने के लिए प्रवेशन

पर्याप्त है।  प्रवेशन के गठन हेतु यह आवश्यक है कि अभियुक्त के पौरूषेय का  कुछ अंश स्त्री की योनि के अंदर था, यह महत्वपूर्ण नहीं है कि पौरूषेय  का कितना अंश अंदर था। महत्वपूर्ण तथ्य केवल यह है कि क्या पुरुषजननेंद्रिय ने स्त्री के गुप्तांग में प्रवेश किया था या नहीं।

अपवादपुरुष का अपनी पत्नी के साथ मैथुंन बलात्संग नही है जबकि पत्नी 15 वर्ष से कम आयु की नहीं है। 

 👉 बलात्संग से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण कारक 

  • किसी स्त्री को मृत्यु अथवा उपहति के भय में डालकर उसकी उसकी सहमति प्राप्त करना इस धारा के अर्थ के अंतर्गत सम्मति प्रदान करने के तुल्य नहीं है।इस प्रकार कोई सोती हुई स्त्री अपनी सहमति देने में असमर्थ होती है अतः यदि कोई व्यक्ति किसी सोती हुई स्त्री के साथ लैंगिक संभोग करता है तो वह बलात्संग का दोषी होगा।
  • जहां कोई पुरुष किसी अल्पमति(मंदबुद्धि) लड़की से शारीरिक संबंध स्थापित करता है और यह प्रमाणित हो जाता है कि कार्य उस लड़की के सम्मती के बिना किया गया है, क्योंकि वह उसकी सम्मति देने में समर्थ नहीं थी तथा स्त्री की असमर्थता तथा उसमें निर्णय लेने में विवेक की कमी देखी गयी इसीलिए ,वह पुरुष बलातसंग करने का अपराधी दोषी होगा ।
  • किसी विकृत चित्र या उन्मत्त स्त्री द्वारा दी गई सम्मति वैद्य सम्मती नहीं होगी। जहां कोई व्यक्ति किसी 13 वर्षीय लड़की को पर्याप्त रूप से उन्नत बना देता है और संज्ञा शून्य की अवस्था(होसो-हावास में न रहने की स्थिति में)में उससे शारीरिक संबंध स्थापित करता है तो वह बलात्संग  का दोषी होगा। यह तथ्य की घटना के दिन तक उस लड़की का कौमार्य (virginity)भंग नहीं हुआ था इस बात का साक्ष्य होगा कि संभोग लड़की की इच्छा के विरुद्ध हुआ था।
  • प्रकरण में एक मेडिकल प्रैक्टिशनर ने 14 वर्षीय एक लड़की से संभोग किया जो उसके पास चिकित्सीय परामर्श लेने के लिए आई थी यह पाया गया कि लड़की ने सद्भाव में ऐसा विश्वास करके किया था कि डॉक्टर उसका उपचार कर रहा था और इसीलिए उसने इस कृत्य का विरोध नहीं किया था । डॉक्टर को बलात संघ के लिए दोष सिद्धि प्रदान की गई। यदि कोई सैल्य चिकित्सक किसी लड़की के साथ सैल्य क्रिया करने के बहाने लैंगिक संभोग करता है तो बलात्संग का दोषी होगा।
  • यदि एक लड़की जिसका नाम हीडिंबा है वह 15 वर्ष की एक अवयस्क लड़की है तथा अपनी माता द्वारा डांटने फटकारने के कारण अपना घर छोड़कर चली जाती है बस स्टेशन पर उसकी मुलाकात महिषा नामक लड़के से होती है जो हिडिंबा को अपने घर ले जाता है और महिषा अपने घर पर उसे कपड़े रुपए और आभूषण देता है और उसकी सहमति से हिडिंबा के साथ लैंगिक संभोग करता है इस मामले में क्योंकि हिडिंबा ने अपना संरक्षण स्वेच्छा से त्यागा  था और महिषा से बस स्टेशन पर मिली जहां से महिषा ने अपने घर ले आया अतः महिषा विधि पूर्ण संरक्षण से व्यपहरण का दोषी नहीं होगा परंतु महिषा भारतीय दंड संहिता की धारा 370 के खंड 6 के अंतर्गत बलातसंघ के अपराध का दोषी होगा भले ही लैंगिक संभोग हिडिंबा की सहमति से किया गया क्योंकि हिडिम्बा 15 वर्ष की होने के कारण अवस्क थी और विधिक सहमति देने के लिए सक्षम नहीं थी। हिडिंबा 16 वर्ष से कम उम्र की होने के कारण विधि मान्य सहमति देने के लिए सक्षम नहीं है अतएव महिषा बलात्संग के अपराध का दोषी होगा।
👉 IPC की धारा 376 ; बलात्संग के लिए दंड प्रावधान

जो कोई उपधारा (2) द्वारा उपबंधित  मामलों के सिवाय बलात्संग करेगा वह दोनों में से  किसी प्रकार के कारावास से जिसकी अवधि 7 वर्ष से कम की नहीं होगी किंतु जो आजीवन कारावास या 10 वर्षों तक हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनिय होगा,किंतु यदि वह स्त्री जिससे बलात्संग किया गया है , बलात्संग करने वाले कि पत्नी है और 12 वर्ष से कम आयु की नहीं है, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि 2 वर्ष तक हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा।

हम आशा करते है हमारे ओर से दी गयी जानकारी से आपको लाभ मिले। यदि इससे संभंधित कोई भी परेशानी हो तो हमे कमेंट बॉक्स में लिख के बताए ।

                                        धन्यवाद।

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