प्रदूषण पर निबंध  (Pradushan Par Nibandh)

प्रदूषण पर निबंध (Pradushan Par Nibandh)

प्रदूषण पर निबंध (Short Essay on Pollution in Hindi)

आप सभी मेरे प्यारे साथियों को मेरा सादर नमस्कार मैं अनमोल श्रीवास्तव आप सभी का आज के इस लेख में स्वागत करता हूं आज हम बात करेंगे

प्रदूषण पर निबंध (Short Essay on Pollution in Hindi) के बारे में आसान व् सरल भाषा में जिससे आपको याद करने और समझने में आसानी हो

प्रस्तावना

प्रकृति ने हम सबको जीवन जीने के लिए एक बड़ी ही खूबसूरत सी जगह दी है, जिसे धरती कहते हैं। हमारे भारत देश में धरती को मां की उपमा दी जाती है इसलिए हम इसे धरती मां कहते हैं। धरती पर जीवन जीना संभव सिर्फ प्रकृति की वजह से है क्योंकि जीवन जीने के लिए हमें जल, वायु, भोजन, इत्यादि की आवश्यकता होती है जो हमें हमारी प्रकृति के द्वारा ही मिलता है। वैसे देखा जाए तो सभी ग्रहों में से एक पृथ्वी ही ऐसी है जहां पर जीवन संभव है, जहां पर मानव जाति और जानवर तथा पेड़ पौधे पाए जाते हैं क्योंकि इन सब का जीवन यापन अर्थात कहा जाए तो इन सब का जीवन वायु पर ही टिका है जिसका नाम ऑक्सीजन है और यह अक्सीजन हमारे पृथ्वी पर ही पाई जाती है। हम सभी को अपना जीवन कुशलता से जीने के लिए शुद्ध वायु की आवश्यकता होती है इसके साथ ही साथ शुद्ध जल और भोज्य पदार्थ की आवश्यकता भी होती है। इसलिए हम सभी का कर्तव्य होता है कि हम अपनी प्रकृति को खूबसूरत बनाए रखें ताकि उसकी शुद्धता बरकरार रहे।

प्रदूषण का अर्थ या परिभाषा (Meaning of Pollution)

जब जल, वायु, मृदा, आदि में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे इस हद तक गंदा कर देते हैं कि स्वास्थ्य पर विपरीत असर (गलत असर) डालने लगे तो उसे प्रदूषण कहते हैं। प्रकृति का स्वास्थ्य पर गलत असर पड़ना यानी मानव स्वास्थ्य के लिए, मानव जीवन के लिए बहुत ही चिंताजनक बात है अर्थात खतरे की बात है क्योंकि मानव जीवन और प्रकृति में संतुलन स्थापित होना अति आवश्यक है क्योंकि मानव जीवन जितना ही प्रकृति पर निर्भर है उतना ही प्रकृति मानव जीवन पर निर्भर करती है और अगर इन दोनों का संतुलन असंतुलित हो जाता है तो वहीं से खतरे की घंटी बजने लगती है। यहीं से प्रदूषण का आगमन होने लगता है।

वैसे तो प्रदूषण कई प्रकार के होते हैं लेकिन प्रदूषण चाहे जैसा भी हो उसका प्रकार चाहे जो भी हो वह हमारे लिए तथा हमारे प्रकृति के लिए हानिकारक साबित होता है। तो आइए हम जानते हैं प्रदूषण के निम्नलिखित प्रकार……

प्रदूषण के कितने प्रकार होते हैं?

 

 प्रदूषण पर निबंध (Pradushan Par Nibandh)

प्रदूषण पर निबंध (Pradushan Par Nibandh)

 जल प्रदूषण 

प्रदूषण का अर्थ ही है शुद्धता में अशुद्धियों का घुलना। वैसे ही जल में अशुद्धियों का घुलना ही जल प्रदूषण कहलाता है, वह अशुद्धियां या तो प्राकृतिक स्रोत ( बाढ़ आना , भूस्खलन होना, इत्यादि) की वजह से हो या फिर मानव स्रोत ( नदी नालों में कारखानों का गंदा पानी बहना, नदियों के शुद्ध जल में कपड़े धोना, जानवरों को नहलाना, घर का कूड़ा-कचरा डालना,इत्यादि ) की वजह से हो।

जल हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है इसके बिना जीवन संभव नहीं है। जन हमारे लिए प्रकृति के द्वारा दिया गया एक वरदान है और इसे स्वच्छ बनाए रखने के लिए तथा इसकी शुद्धता बरकरार रखने के लिए हमें इसे प्रदूषित होने से बचाना है। जो भी प्रदूषण प्राकृतिक आपदा के कारण होती हैं प्रकृति उसे अपने हिसाब से ठीक कर लेती है, संतुलित कर लेती है परंतु जो प्रदूषण मानव कृत की वजह से होता है उसे प्रकृति संतुलित नहीं कर पाती है क्योंकि संतुलन बनाए रखने के लिए प्रकृति और मानव का संतुलित होना अति आवश्यक है इसलिए मानव का यह कर्तव्य होता है कि वह  प्रकृति की शुद्धता बरकरार रखे।

 वायु प्रदूषण

शुद्ध वायुमंडल में अशुद्धता के कणों का मिश्रण होना ही वायु प्रदूषण कहलाता है। मानवकृत वायु प्रदूषण …. यह वे वायु प्रदूषण होते हैं जो मानव के द्वारा किए जाते हैं जैसे = सड़कों पर दौड़ते गाड़ियों के धुए से निकलता कार्बन डाइऑक्साइड गैस से, कारखानों की चिमनी से निकलते कार्बन डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड गैस,

ग्रीन हाउस गैसें  (क्लोरोफ्लोरोकार्बन , कार्बन डाइऑक्साइड गैस, मिथेन, सल्फर डाइऑक्साइड ,इत्यादि), आदि जैसे खतरनाक गैसे जो हमारे वायुमंडल को दूषित करती हैं तथा वायु प्रदूषण फैलाती हैं। प्राकृतिक वायु प्रदूषण…. यह वेप वायु प्रदूषण होती हैं जो प्रकृति के द्वारा होते हैं जैसे= जंगलों में आग लगना, ज्वालामुखी का फूटना, इत्यादि‌ से भी वायु प्रदूषण होता है

परंतु जो वायु प्रदूषण प्रकृति के द्वारा होता है वह समय के साथ संतुलित हो जाता है पर मानव के द्वारा किया गया वायु प्रदूषण संतुलित नहीं हो सकता क्योंकि मानव समय के साथ विकास कर रहा है और उस विकास में वह सभी पेड़ – पौधों को काटते जा रहा है जिसके कारण वायु में जो प्रदूषण हो रहा है वह वायु शुद्ध नहीं हो पा रही हैं इसलिए।

मानव जीवन तथा इस धरती पर पल रहे सभी का जीवन वायु पर निर्भर करता है वायु के द्वारा ही सांस लेना संभव होता है और सांस के कारण ही हम जीवित रहते हैं। इसलिए हम सभी का कर्तव्य बनता है कि हम ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाएं ताकि हमारे वायुमंडल में जो भी प्रदूषित करण भूल चुके हैं वह समय के साथ नष्ट हो जाए और हमारा वायुमंडल फिर से शुद्ध हो जाए और हमारा जीवन भी सुखद हो।

 मृदा प्रदूषण या मिट्टी प्रदूषण 

आजकल जो हम लोग अत्यधिक पॉलिथीन का इस्तेमाल कर रहे हैं तथा अपने घरों का कूड़ा – कचरा इधर-उधर फेंक रहे हैं, खेतों में अत्यधिक मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग कर रहे हैं उससे हमारी मिट्टी को अत्यधिक नुकसान हो रहा है, जिसे मिट्टी प्रदूषण या मृदा प्रदूषण कहते हैं। इन्हीं मिट्टी में ऊपजे अनाज को खाकर हम आए दिन बीमार पड़ रहे हैं जिससे हमारे सेहत को अत्यधिक नुकसान हो रहा है। इसलिए हमारा कर्तव्य बनता है कि हम मिट्टी को प्रदूषित होने से बचाएं और साथ ही साथ प्राकृतिक खाद्य का इस्तेमाल करें तथा पालिथीन का इस्तेमाल ना करें जिससे हमारी सेहत तथा हम स्वस्थ रह सकें।

ध्वनि प्रदूषण 

वर्तमान समय में हम आवश्यकता से अधिक ऊंची आवाज सुनने लगे है यह बिल्कुल गलत है क्योंकि हमारे सुनने के क्षमता की एक सीमा होती है और  उससे अधिक ऊंचा सुनने से हम बहरे हो सकते हैं। सड़कों पर चलते वाहनों की आवाज , कारखानों के मशीनों की आवाज,ऑटोमोबाइल्स से निकलती तेज आवाज से ध्वनि प्रदूषण होता है। इसका हमारे स्वास्थ्य तथा प्रकृति पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है।

प्रदूषण रोकने के उपाय क्या है?

प्रदूषण चाहे किसी भी प्रकार का हो वह हमारे वातावरण तथा हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होता है इसलिए हमें अपने वातावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए अपने दिनचर्या के गलत तरीके से करने वाले कामों से बचना होगा तथा अच्छी व प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल करना होगा जिससे हमारी प्रकृति को कोई नुकसान ना हो। नीचे दिए गए निम्न बिंदुओं के आधार पर हम प्रदूषण पर नियंत्रण पा सकते हैं……

# Poly bag  की जगह कागज के बैग का या घर के बने कपड़े के बैग का इस्तेमाल करना।

# अपने घर के कूड़े – कचरे को बनाए गए कूड़ेदान में ही डालें ना की इधर – उधर फेंके।

# ज्यादा से ज्यादा पेड़ – पौधे लगाए ,जिससे हमारा वातावरण स्वच्छ बना रहे तथा हमें शुद्ध हवा मिले।

# जितना हो सके उतना कम गाड़ियों का प्रयोग करें खास करके चारपहिया का ताकि हम प्रदूषण पर नियंत्रण पा सकें,इत्यादि। 

उपसंहार

अगर हमें अपनी आगामी पीढ़ी को एक साफ, सुरक्षित और जीवनदायिनी पर्यावरण देना है, तो इस दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे। और प्रदूषण पर नियंत्रण पाना सिर्फ हमारे देश ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण पृथ्वी के लिए आवश्यक है। ताकि सम्पूर्ण पृथ्वी पर जीवन रह सके।

निष्कर्ष

प्रदूषण हमारे जीवन के साथ-साथ हमारी प्रकृति पर भी बुरा असर डालता है और वर्तमान समय में हम किसी भी प्रदूषण से अछूते नहीं हैं। इसलिए हम सभी का कर्तव्य बनता है कि हमें प्रदूषण की रोकथाम के लिए तथा प्रकृति से अपना संतुलन बनाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ – पौधे लगाने चाहिए, अपने दिनचर्या के कार्यों में कुछ सुधार लाने चाहिए जिससे हमारा वातावरण भी शुद्ध बना रहे और हम भी अपना जीवन सुखद जी सकें।

धन्यवाद

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